ध्यान के लघु प्रयोग



'हां' का अनुसरण!
एक महीने के लिए सिर्फ 'हां' का अनुसरण करें, हां के मार्ग पर चलें। एक महीने के लिए 'नहीं' के रास्ते पर न जाएं।
'हां' को जितना संभव हो सके सहयोग दें। उससे आप अखंड होंगे। 'नहीं' कभी जोड़ती नहीं है। 'हां' जोड़ती है, क्योंकि 'हां' स्वीकार है। 'हां' श्रद्धा है, 'हां' प्रार्थना है। 'हां' कहने में समर्थ होना ही धार्मिक होना है।
दूसरी बात, 'नहीं' का दमन नहीं करना है। यदि आप दमन करेंगे, तो वह बदला लेगी। यदि आप उसे दबाएंगे तो वह और-और शक्तिशाली होती जाएगी और एक दिन उसका विस्फोट होगा और वह आपकी 'हां' को बहा ले जाएगी। तो 'नहीं' को कभी न दबाएं, सिर्फ उसकी उपेक्षा करें।
दमन और उपेक्षा में बड़ा फर्क है। आप भलीभांति जानते हैं कि 'नहीं' अपनी जगह है और आप उसे पहचानते भी हैं। आप कहते हैं, 'हां मैं जानता हूं कि तुम हो, लेकिन मैं हां के मार्ग पर चलूंगा।' आप उसका दमन नहीं करते, आप उससे लड़ते नहीं, आप उससे यह नहीं कहते कि चलो, भाग जाओ, में तुमसे कुछ वास्ता नहीं रखना चाहता। आप उस पर क्रोध नहीं करते। आप उससे भागना नहीं चाहते। आप उसे मन के अंधेरे अचेतन तहखाने में नहीं फेंक देना चाहते। नहीं, आप उसका कुछ भी नहीं करते। आप सिर्फ जानते हैं कि वह है, लेकिन आप 'हां' के मार्ग पर चलते हैं- नहीं के प्रति बिना किसी दुर्भाव के, बिना किसी शिकायत के, बिना किसी क्रोध के। बस 'हां' के मार्ग पर चलें, 'नहीं' के प्रति कोई भाव न रखें।
नहीं को मारने का सबसे अच्छा तरीका उसकी उपेक्षा करना है। यदि आप उससे लड़ने लगते हैं, तो आप पहले ही उसका शिकार बन गए, बहुत ही सूक्ष्म ढंग से उसके जाल में पड़ गए; 'नहीं' की पहले ही आप पर जीत हो गई। जब आप 'नहीं' से लड़ने लगते हैं, तो आप 'नहीं' को नहीं कह रहे हैं। इस तरह पिछले दरवाजे से उसने पुन: आप पर कब्जा जमा लिया।
तो 'नहीं' को भी नहीं न कहें- सिर्फ उसकी उपेक्षा करें। एक महीने के लिए 'हां' के मार्ग पर चलें और 'नहीं' से बिलकुल न लड़े। आप हैरान हो जाएंगे कि धरे-धीरे 'नहीं' कमजोर हो गई है, क्योंकि उसे कोई भोजन नहीं मिल रहा। और एक दिन अचानक आप पाएंगे कि वह है ही नहीं। और जब 'नहीं' विलीन हो जाती है, तो जितनी ऊर्जा उसमें लगी थी वह सब मुक्त हो जाती है। और वह मुक्त ऊर्जा आपकी 'हां' के प्रवाह को और प्रगाढ़ कर देगी।
(सौजन्य से : ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन)

4 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

jah jaankaari de kar ap bahut achcha kar rhe hai

Udan Tashtari said...

बहुत आभार-साधु साधु!!

मीनाक्षी said...

'हां' श्रद्धा है, 'हां' प्रार्थना है। ----
सच है... इस 'हाँ' को मानने पर असीम आनन्द भी मिलता है..

Anonymous said...

Osho ke dhyan proyog manushya ke bhitar, aseem sambhavnao ke dwar kholte hai... ye dhyan prog wakai udeshyaparka aur swayam ke prati hosh ko badate hain , jai ho osho jai ho