किसी क्षण केवल जीकर देखो !

'जीवन का आदर्श क्या है?' एक युवक ने पूछा है।
रात्रि घनी हो गयी है और आकाश तारों से भरा है। हवाओं में आज सर्दी है और शायद कोई कहता था कि कहीं ओले पड़े हैं। राह निर्जन है और वृक्षों के तले घना अंधेरा है।
और इस शांत शून्य-घिरी रात्रि में जीना कितना आनंदमय है! होना मात्र ही कैसा आनंद है, पर हम 'मात्र जीना' नहीं चाहते हैं! हम तो किसी आदर्श के लिए जीन चाहते हैं। जीवन को साधन बनाना चाहते हैं, जो कि स्वयं साध्य है। यह आदर्श दौड़ सब विषाक्त कर देती है। यह आदर्श का तनाव सब संगीत तोड़ देता है।
अकबर ने एक बार तानसेन से पूछा था, 'तुम अपने गुरु जैसा क्यों नहीं गा पाते हो- उनमें कुछ अलौकिक दिव्यता है।' उत्तर में तानसेन ने कहा था, 'वे केवल गाते हैं- गाने के लिए गाते हैं। और मैं-मेरे गाने में उद्देश्य है।'
किसी क्षण केवल जीकर देखो। केवल जीओ- जीवन से लड़ो मत, छीना-झपटी न करो। चुप होकर देखो, क्या होता है! जो होता है, उसे होने दो। 'जो है', उसे होने दो। अपनी तरफ से सब तनाव छोड़ दो और जीवन को बहने दो। जीवन को घटित होने दो और जो घटित होगा- मैं विश्वास दिलाता हूं- वह मुक्त कर देता है।
आदर्श का भ्रम सदियों पाले गये अंधविश्वासों में से एक है। जीवन किसी और के लिए, कुछ और के लिए नहीं, बस जीने के लिए है। जो 'किसी लिए' जीता है, वह जीता ही नहीं है। जो केवल जीता है, वही जीता है। और वही उसे पा लेता है, जो कि पाने जैसा है। वही आदर्श को भी लेता है।
उस युवक की ओर देखता हूं। उसके चेहरे पर एक अद्भुत शांति फैल गयी है। वह कुछ बोलता नहीं है, पर सब बोल देता है। कोई एक घंटा मौन और शांत बैठकर वह गया है। वह बदलकर गया है। जाते समय उसने कहा है, 'मैं दूसरा व्यक्ति होकर जा रहा हूं।'
(सौजन्य से : ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन)

6 comments:

मीनाक्षी said...

नमस्कार, दिल्ली गए हुए थे, परसों लौटे हैं और ओशो पढे बगैर कैसे रह सकते हैं.
इस लेख को पढ़ कर एक 'त्रिपदम' कहने को जी चाहता है -
"मृत्यु निश्चित
जीना है भरपूर
है ठाना मैंने"

Dr. Chandra Kumar Jain said...

कितनी सीधी-सच्ची
और जीने जैसी बात यह.
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आभार
डा.चंद्रकुमार जैन, वही जीता है।

Dr. Chandra Kumar Jain said...

कितनी सीधी-सच्ची
और जीने जैसी बात यह.
==================
आभार
डा.चंद्रकुमार

Udan Tashtari said...

आभार, हमेशा की तरह आनन्ददायी.

Anonymous said...

OSHO RAJNEESH KE PRAVACHAN PADNE MENE KUCHH DIN PAHLE SHURU KIYE HAI...

Sanjay Tiwari said...

सुंदर